(iii) विद्युतीय ऊर्जा का उत् पादन, पारेषण और वितरण ; (iv) वनरोपण और मृदा क्षय नियंत्रण ; और (v) लोगों की औद्योगिक, आर्थिक सामान् य खुशहाली का संवर्धन करना।
3.
१ ९९ २ में आयी अपनी किताब ‘ बैलेंस इन द अर्थ ' में वे पृथ्वी का विध्वंस करनेवाली ताकतों के रूप में वायु एवं जल प्रदूषण, मृदा क्षय, जंगलों का घटना, बढ़ती आबादी, ओजोन परत में छेद और ग्लोबल वार्मिंग को गिनाते हैं।
4.
साथ ही वे सॉयल फार्मेशन (वह प्रक्रिया जिससे मिट्टी बनती है), क्लासीफिकेशन (गुणों केअनुसार मिट्टी का वर्गीकरण), सायल सर्वे (मिट्टी के प्रकारों का प्रतिचित्रण), सायल मिनरोलॉजी (मिट्टïी की बनावट), सायल बायोलाजी, केमिस्ट्री व फिजिक्स (मिट्टी के जैविक, रासायनिक व भौतिक गुण) मृदा उर्वरकता, मृदा क्षय जैसे क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।